Wednesday, November 3, 2010

आज ३ नवम्बर है बुधवार ..... फिर वही दिन ... बुधवार
सुबह जब सैर के लिए निकला तो गुप्ता जी साथ में आ गए ..... दिन की शुरुआत अलग ढंग .... एकदम अलग ढंग .........   से होने लगी , होने क्या लगी हो गई ..........................
बारहवीं उत्तीर्ण करके सागर में इंजीनियरिंग  में पढ़ रहा युवा स्फूर्ति से भरा गुप्ता जी के भाई का नाती (उनका भी .) दीपावली के लिए घर जबलपुर आ गया ............. कल मंगलवार को माँ पिता के साथ दक्षिण मुखी हनुमान जी के दर्शन के लिए सभी नर्मदा किनारे ग्वारी घाट गए ..... स्नान करके गए थे सभी .... लेकिन बच्चे को नर्मदा स्नान की ईच्छा हुई
...... और  छलांग लगा दी उसने .... पिता सामने खड़े थे ............... उछलकर शरीर नर्मदा के जल में डूबा ......... डूबा............ और फिर न निकला ............ पिता के सामने ही जल समाधि ........
कल मंगलवार था मेरे कई रुके काम पूरे हो गए .. सुलझ गए ... और गुप्ताजी का नाती ..................
न जाने यह क्या .. कैसी विडम्बना !!!!!!!!!!!!!!!!!
लेकिन आज भी मेरे कई रुके काम पूरे हो गए
आज धन तेरस है ....
कहते हैं आज धन की वर्षा होती है ...... समाचार पत्रों में .... कई दिनों से खबरें आ रही हैं .... आज सोना और चान्दी खरीदने से लाभ ही लाभ ......
लेकिन कल जिसके यहाँ हादसा हुआ उसे क्या लाभ ...
जिंदगी भर का .. हमेशा के लिए ... कभी भरपाई न हो सकने वाली हानि ही हानि ...
आज शाम प्रथानुसार मिटटी के बने कच्चे दिए .... जिसे मैंने १०-१२ दिन पहले बनाये थे आड़े टेढ़े .. बेढंगे .... १३ दिए घर के बाहर - मुख्य द्वार के बायीं ओर चौंक बनाकर ......... सूर्यास्त के तुरंत बाद जलाये
उसके बाद आज घर की छत पर प्रकाश के लिए लगवाये गए झालर का स्वीच चालू कर दिया
प्रकाश चहुँ ओर फ़ैल गया .... दूर अनंत में .. लगा जैसे नर्मदा के जल में भीगी  एक छाया प्रकाश से भी तेज़ गति से अनंत सौर मंडल में विलीन हो गई ..
कौन थी वह छाया .......
लेकिन मुझे यह क्यों उत्सुकता है ....
मुझे तो जानना है .. मैं कौन हूँ ...

शायद कल पता लगे .... लगेगा क्या ????????
कल २ नवम्बर को मंगलवार था , क्या है रहस्य नहीं मालूम ,क्या है कारण नहीं मालूम , क्यों ऐसा हुआ या होता है ये भी समझ के परे है -- लेकिन होता है ऐसा -- हुआ है ऐसा क्या इसके पीछे कोई आधुनिक विज्ञानं जनित कारण हो सकता है ??
शायद !!!
ऐसा होता है प्रायः मेरे साथ कि कुछ समय से अड़चनों या उलझनों में फंसे अथवा रुके काम अचानक ही मंगलवार (या बुधवार ) को आसानी से सुलझ जाते हैं ... पूरे हो जाते हैं ....
और ऐसा ही कल हुआ .. ११ में से ८ काम कल सुलझ गए  ... पूरे हो गए
ख़ुशी हुई ......
लेकिन मैं कौन हूँ .. यह अभी भी .... अभी भी ....
देखें आज  क्या होता है .....

Tuesday, November 2, 2010

क्या पाया आज ?
कल सुबह से रिमझिम बारिश होते रही पूरे दिन ,ऐसी बारिश सावन में भी नहीं हुई इस वर्ष , लेकिन कल  हो रही थी
ऐसी बारिश में दिन भर घर पर ही रहा , कुछ भी नहीं कर सका
शायद कल कुछ .. कुछ .. , कुछ तो होना चाहिए
देखें ..

Monday, November 1, 2010

आज एक नई शुरुआत अपने आपको पहचानने की .
कौन होगा जो मुझे पहचानता होगा ? क्या वो जो मुझे मेरी समझ में सबसे पहले मिला था ; लेकिन कब सबसे पहले .. कब !!  कब !!! आखिर कब ?
या वो होगा जिसने मुझे सबसे पहले देखा होगा  , लेकिन स्वयं मैंने सबसे पहले कब देखा था स्वयं को ?
शायद वो होगा जिसने सबसे पहले मुझे बताया होगा 'ये तुम हो '
नहीं कदाचित मैं स्वयं हूँ जो स्वयं को पहचानता हूँ
क्या मैं स्वयं को पहचानता हूँ ,क्या कोई स्वयं को पहचानता है
......................
लेकिन ये सब मैं क्यों कह रहा हूँ
मुझे तो जानना है मैं कौन हूँ
चलो कोशिश करते हैं यदि जान सकूँ  कौन हूँ मैं
इस कोशिश का अगला पड़ाव ... कुछ नया हो शायद .?
शायद !!!
शायद ?